कानपुर, उ.प्र.।आरोग्यधाम ग्वाल टोली में होमियोपैथिक चिकित्सकों ने कानपुर वासियों को थायराइड से होने वाले दुष्प्रभाव एवं बचाव के लिए किया जागरूक। आरोग्यधाम ग्वालटोली में विश्व थायराइड दिवस की पूर्व संध्या पर होम्योपैथिक चिकित्सकों के द्वारा शहर वासियों को थायराइड से होने वाले दुष्प्रभाव एवं उसके बचाव हेतु बरते जाने वाली सावधानियों के बारे में जागरूक किया, जिसमें चिकित्सकों ने बताया कि मानव शरीर में थायराइड हार्मोन का संतुलन बिगड़ने से थायराइड रोग होता है इसका होम्योपैथिक चिकित्सा संपूर्ण उपचार है। होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ हेमंत मोहन ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए बताया कि जब TSH लेवल बढ़ जाता है तो उसे हाइपोथायरॉयडिज्म एवं जब घट जाता है तो उसे हाइपरथाइरॉडिज्म कहते हैं जिनमे मरीज का वजन बढ़ जाता है, एवं दूसरे में भूख कम लगने से वजन कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों को लक्षणों का समुचित अध्ययन कर उच्च गुणवत्ता वाली होम्योपैथिक दवा देने पर 3 से 4 महीने में सटीक परिणाम के साथ TSH लेवल नियंत्रित रहता है। वही स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरती मोहन ने बताया कि जिन महिलाओं में थायराइड के लक्षण पाए जाते हैं उनमें गर्भधारण करने में अनेकों समस्याएं आती हैं, जिनका होम्योपैथिक में उचित उपचार उपलब्ध है। इस अवसर पर डॉ हेमंत मोहन ने बताया कि व्यक्ति को हर छह से 8 महीने में थायराइड पैनल की नियमित रूप से जांच करानी चाहिए तथा उन्हें आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह बताया कि इस उपचार में परहेज बहुत जरूरी है जिसमें अचार, खटाई, नीबू, कथा आदि का प्रयोग वर्जित है। बता दें कि उनके द्वारा कुछ होम्योपैथिक दवाइयों के नाम बता कर उनका सेवन करने से बहुत अच्छे परिणाम मिलने की बात बताइ गई।
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