गया, 05 दिसंबर: ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और उनकी गुणवत्ता को लेकर IIM बोधगया में एक अहम कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य स्वास्थ्य क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए नीति और रणनीति विकसित करना था।
इस कार्यक्रम में मगध मेडिकल कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ. विनोद सिंह, डीपीएम नीलेश कुमार, और कई अन्य विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। पैनलिस्टों ने आधारभूत संरचनाओं की कमी, चिकित्सकों की अनुपलब्धता, आपातकालीन सेवाओं में देरी, और डिजिटल हेल्थ तकनीकों के उपयोग जैसे मुद्दों पर अपने विचार साझा किए।
प्रमुख चुनौतियां और सुझाव:
चिकित्सकों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति एक बड़ी समस्या है। इसे हल करने के लिए विशेषज्ञों ने टेलीमेडिसिन और नियमित प्रशिक्षण की वकालत की।
डिजिटल स्वास्थ्य: डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल बढ़ाने और टेलीमेडिसिन को सशक्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
आधारभूत संरचना: स्वास्थ्य केंद्रों को बेहतर बनाने और मोबाइल हेल्थ यूनिट की व्यवस्था करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई।
बजट और प्रशिक्षण: सीमित बजट और चिकित्सकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही गई।
कार्यशाला का संचालन IIM बोधगया के विशेषज्ञों ने किया, जिसमें संस्थान की डायरेक्टर प्रो. विनिता सहाय और अस्पताल प्रबंधन कार्यक्रम के छात्र-छात्राएं भी शामिल रहे।यह कार्यशाला बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकती है।
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