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गया में शराबबंदी पर फिर सवाल! नाबालिग के पास से 38 लीटर शराब जब्त, शराब माफिया बेखौफ

गया: बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद शराब माफिया का नेटवर्क मजबूत होता जा रहा है। ताज़ा मामला गया जिले से सामने आया है, जहां पुलिस ने एक नाबालिग को 38.25 लीटर विदेशी शराब के साथ गिरफ्तार किया है। नाबालिग के पास से एक ऑटो रिक्शा भी जब्त किया गया। इस बड़ी बरामदगी ने एक बार फिर से बिहार सरकार की शराबबंदी नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

शराब माफिया का नाबालिगों का इस्तेमाल:

गया जिले के इमामगंज थाना क्षेत्र में 13 अक्टूबर 2024 को वरीय पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में चलाए गए विशेष छापामारी अभियान के दौरान एक नाबालिग को शराब तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने छापेमारी में 38.25 लीटर विदेशी शराब जब्त की। घटना के संबंध में इमामगंज थाना ने कांड संख्या 282/24 के तहत मामला दर्ज किया है और बिहार मद्यनिषेध एवं उत्पाद संशोधित अधिनियम 2022 के तहत कार्रवाई की जा रही है।

शराबबंदी कानून पर उठते सवाल:

इस घटना ने एक बार फिर से राज्य में शराबबंदी कानून की प्रभावशीलता पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। नाबालिगों का इस कारोबार में इस्तेमाल दिखाता है कि शराब माफिया कानून से बेखौफ हैं। शराबबंदी के बावजूद भारी मात्रा में शराब की बरामदगी से यह साफ है कि अवैध शराब का कारोबार बिहार में खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

आंकड़े बनाते हैं तर्क:

राज्य भर में शराबबंदी के बाद से तस्करी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। 2022 के एक आंकड़े के अनुसार, शराबबंदी लागू होने के बाद से बिहार में करीब 3 लाख लोग शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तार किए गए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में नाबालिग भी शामिल हैं। पुलिस लगातार छापेमारी और अभियान चला रही है, लेकिन इसके बावजूद तस्करों के हौसले पस्त नहीं हो रहे।

शराब माफिया की जड़ें मजबूत:

यह घटना केवल एक उदाहरण है कि कैसे शराब माफिया राज्य में अपनी जड़ें गहरी कर चुके हैं। तस्करी के नेटवर्क इतने मजबूत हो गए हैं कि अब नाबालिगों को भी इस गोरखधंधे में शामिल किया जा रहा है, जिससे कानून-व्यवस्था पर और बड़ा खतरा मंडराने लगा है।

शराबबंदी की सफलता पर सवाल:

पिछले कई वर्षों से बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, लेकिन पुलिस द्वारा लगातार शराब बरामदगी के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि यह कानून अपनी पूरी तरह से सफलता हासिल नहीं कर पाया है। इसके अलावा, नाबालिगों की गिरफ्तारी ने यह साफ कर दिया है कि कानून का डर अपराधियों में कम होता जा रहा है।

गया की यह घटना केवल एक उदाहरण है कि शराबबंदी कानून के बावजूद बिहार में अवैध शराब का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। नाबालिगों का इस्तेमाल और भारी मात्रा में शराब की बरामदगी ने यह साबित कर दिया है कि माफिया कानून को चुनौती देने में कामयाब हो रहे हैं। यदि जल्द ही इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो बिहार की शराबबंदी नीति सिर्फ कागज़ों पर ही सीमित रह जाएगी।


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