यहाँ दस की संख्या में शौचालय तो है परन्तु हमेसा ताला लटका रहता है । जिन्हे भी इसका इस्तेमाल करना होता है वो दूर से इस शौचालय को देखकर आते तो है परन्तु शौचालय बंद होने के कारण लोग शौचालय के बाहर (अगल बगल) ही गन्दगी फैला कर चले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप सारी गन्दगी सड़क पर ही बिखरी रहती है। यहाँ के हालात ऐसे होते हैं की बिना नाक बंद किये आप उधर से पार भी नहीं कर सकते हैं । गन्दगी के कारण संक्रमण का खतरा भी है । यहाँ सफाई की समुचित व्यस्वथा का भी घोर अभाव है । सामने पटना जंक्शन एवम हनुमान मंदिर है । यहाँ हमेसा अच्छी खासी भीड़ भी रहती । इस भीड़ को ध्यान में रखकर ही सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था परन्तु नतीजा ढाक के तीन पात वाली स्थिति बना दिया गया नगर निगम के द्वारा ।
जहा एक तरफ स्मार्ट सिटी का सपना संजोये बैठे है, क्या नगर निगम के इस प्रकार की कार्यशैली के द्वारा यह संभव है । खुले में कचड़ा, सफाई की व्यस्वथा का ना होना, साधन होते हुए भी उसका इस्तेमाल न होना । जब तक इस नकारात्मकता से बाहर नहीं निकलेंगे तब तक स्मार्ट सिटी का सपना सपना ही रहेगा । अतः नगर निगम को अपने ढुलमुल रवैये से बाहर निकलना होगा ।


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